कोरोना ने भले ही आम आदमी को उनके घरों में कैद कर दिया हो, लेकिन सरकारी जेलों में बंद कैदियों के लिए कोरोना आजादी का सबब भी बन गया है। कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन दिनों जेलों में क्षमता से ज्यादा रखे गए कैदियों की तादाद कम करने की कोशिश की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि 7 साल या उससे कम सजा वाले अपराधों में जेल में बंद सजायाफ्ता और अंडर ट्रायल कैदियों को पैरोल पर रिहा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने राज्य की जेलों में बंद कैदियों की संख्या का जायजा लेने बाद 11 हजार कैदियों को जेल से पैरोल की थी। अब इस योजना पर अमल शुरू हो गया है।
राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (जेल) सुनील रामानंद बताया कि जेलों में कोरोना वायरस मद्देनजर भीड़ कम करने के लिए बीते तीन दिन में पश्चिमी महाराष्ट्र की जेलों से कुल 104 कैदियों को रिहा किया।